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वर्क फ्रॉम होम

“मन्नू…….मन्नू“
दादी मन्नू को आवाज़ लगा कर बुला रही थी। उन्हे मालूम था मौका मिलते ही मन्नू मम्मी के पास भाग गया होगा। चार साल का बच्चा माँ को घर में देख बहक ही जाता है। उसे तो यह समझ नही न कोरोना नाम की कोई बिमारी चल रही है। जिसने पूरी दुनिया को घर तक सीमित कर दिया है। जिसने उसकी मम्मी का ऑफिस ही घर पर ला दिया है। मन्नू को तो बस इतना एहसास है कि कम्प्यूटर पर गेम खेले जाते हैं। उसे तो बस यह लगता है कि उसकी मम्मी उसे दादी के पास छोड़ कर गेम खेलने बैठ जाती है। क्या उसे वर्क फ्रॉम होम समझ आऐगा?
“मन्नू को तो लाना पड़ेगा।“ सोचते हुए दादी सीढ़ियां चढ़ने लगी। घुटनों मे दर्द के कारण सीढ़ियां चढ़ना मुशकिल हो गया था लेकिन मन्नू को न लाई तो वो मम्मी को काम नहीं करने देगा। फिर ऑन लाईन मीटिंग मे उसके कारण बाधा आऐगी।
जब दादी ऊपर पहुँची तो मन्नू दादी की कुर्सी पकड़ कर झूल रहा था और मम्मी कम्प्यूटर स्क्रीन पर नज़रें गढ़ाए और हाथ में माउस पकड़ कर तल्लीन थी।
“मन्नू चलो मैने लूडो लगाई थी और तुम यहाँ आ गए“ दादी ने मन्नू को लूडो का लालच दिया।
“हाँ लूडो……“मन्नू को लूडो का गेम बहुत पसंद था। “हाँ हाँ लूडो खेलेंगे“। कहता हुआ मन्नू नीचे की तरफ को भागने लगा।
“अरे! रूक तो मुझे भी तो ले चल“। मन्नू फिर पीछे आ गया और दादी का हाथ पकड़ कर उन्हें नीचे ले जाने लगा।
जब से कोरोना नाम की बिमारी का खौफ फैला था बहू बेटे दोनो का ऑफिस घर पर ही लगने लगा था। मन्नू दोनो को देख कर बहुत खुश होता था लेकिन हैरान इस बात से था कि क्यों माहौल छुट्टी जैसा नहीं होता। मम्मी पहले तो छुट्टी वाले दिन जल्दी नही उठती थी। अब तो घर पर ही रहती है और सुबह सुबह उठा भी देती हैै।
“दादी मैं येलो कलर की गोटी लूँगा।“
“ठीक है मैं ग्रीन कलर की“
“दादी पहले पहले मैं चलूंगा“
“ओ….हो…. ठीक है तू ही चल“
मन्नू ने पासा फेंका। उसका चार आया। “अरे छह आ जाता।“
“कोई बात नहीं दूसरी बार आ जाएगा“
दादी का भी छह नहीं आया।
मन्नू ने पासा फेंका। अब की बार एक आया
“दादी छह कब आएगा?“
“देखते हैं।“ दादी ने पासा फेंका उनका दो आया मन्नू का इस बार पांच आया।
“दादी जैसे हम घर में बंद हो गए जैसे लूडो की गोटीयां भी अपने घर मैं बंद हो गई।“ दादी…हम घर से बाहर क्यों नहीं निकलते?“
मन्नू अभी लॉकडाऊन लग रखा है इसीलिए जब लॉकडाऊन खुल जाएगा तब हम पहले की तरह घर से बाहर निकला करेंगे।“
जैसे ये गोटियों का लॉकडाऊन…….अरे! मेरा छह आ गया मेरी गोटी बाहर आ गई। मैं आपसे पहले बाहर निकला“। मन्नू झूम झूम कर गाने लगा।
दादी उसे देख कर हंसने लगी। “गोटी को निकालकर तो तू बहुत खुश हो रहा है खुद देख कैसे रोनी सूरत निकाल कर बिस्तर से निकलता है।“
दादी आपको पता है दादी जब मुझे नींद नहीं आ रही होती तब मम्मी मुझे कहती है “सो जा… सो जा और जब नींद आ रही होती है तो कहती है उठ जा उठ जा
“क्यों कि रात को जल्दी सोना चाहिये और सुबह जल्दी उठना चाहिए“।
लेकिन नींद तो सुबह आती है। रात को तो मेरा मम्मी पापा के साथ खेलने का मन करता है। “मन्नू रात सोने के लिए बनी है। मम्मी पापा भी दिन भर काम कर के थक जाते हैं और तारों की चाँद की रोशनी सोने के लिए बनी है।“ अगर रात जागने के लिए होती तो क्या सूरज रात को न निकलता। दिन में जागना होता है इसीलिए दिन में इतना प्रकाश होता है कि हम सब काम कर सकते हैं।“
“सुबह उठ कर मैं क्या करू सब तो काम मे लगे होते हैं।“
मेरे साथ मंदिर चला कर पेड़ पौधों को पानी दिया कर।“
“पेड़ पौधों को पानी क्यों दूँ? उनका मुँह तो होता नहीं वो थोड़ी न पानी पीते हैं।“
उनका मुँह नहीं होता लेकिन जब हम पानी देते हैं तो उनकी जड़ें पानी पीती हैं और वो उस पानी को पत्तों तक पहुँचाती हैं तब वो हमारे लिए खाना बनाते हैं।“
“खाना तो मम्मी बनाती है।“
“लेकिन जो सब्ज़ी मम्मी बाज़ार से लाती है वो उगती तो पेड़ पर है न! और फिर पेड़ों से हमें आक्सीजन भी तो मिलती है।“
“आक्सीजन…….?“
“आक्सीजन जो हवा में होती है जिससे हम सांस लेते हैं और जिंदा रहते हैं।“
“पर दादी आक्सीजन तो हम बाज़ार से भी ले सकते हैं। देखा न रोज टी.वी. वाले बताते हैं कि कहाँ कहाँ ये आक्सीजन ले सकते हैं।“
“लेकिन टी.वी. वाले ये भी तो बताते हैं कि आक्सीजन की कमी से कितने लोग मर रहे हैं। और फिर उस आक्सीजन के लिए हमें कितने पैसे देने पड़ते हैं और अगर इस दुेनिया में पेड़ पौधे बहुत सारे हों तो हमें फ्री में ही इतनी आक्सीजन मिलती है कि हम स्वस्थ रहते हैं और कभी आक्सीजन की कमी नहीं होती।“
“अच्छा दादी…. अब मुझे समझ आ गया। मैं सुबह जल्दी उठूंगा और खूब पेड़ पौधे लगाऊँगा।“
“दादी देखो! ध्यान दो! मैं आपको बातों में लगा कर हरा रहा हुँ। देखो मैने आपकी गोटी काट दी और आपको पता भी नहीं चला।“ मन्नू इठला कर बोला।
“अच्छा शैतान…अभी तुझे बताती हुँ“ कह कर दादी ने अपना पासा फेंका। उनक कान में ऊपर से मीटिंग की आवाज आ रही थी।
मैं मम्मी के पास जा रहा…. कह कर मन्नू ऊपर भाग गया।